काले संभरजे म्‍हाने (कविता)

काले संभरजे म्‍हाने
मूल : धूमिल (हिंदी- कल सुनना मुझे)
अनुवाद : उपेन्‍द्र अणु
प्रथम संस्‍करण : 2002
पृष्‍ठ : 96
मूल्‍य : 40
ISBN : 81-260-1486-5